उरई, फरवरी 16 -- उरई। दो वक्त की रोटी की आस में सुबह से देर रात तक माध्यम वर्ग और गरीबों को सस्ता सामान बेचने वाले पटरी दुकानदार डर के साये में रहते हैं कि उनकी दुकान अतिक्रमण के नाम पर हटा न दी जाए। तय जगह न मिलने से एक सड़क से दूसरी सड़क के किनारे दुकान लगाने को मजबूर हो रहे हैं। सड़कों के किनारे दो हजार से ज्यादा पटरी दुकानदार कारोबार कर रहे हैं, पर इनकी समस्या कोई सुनने वाला नहीं है। पटरी दुकानदार सुबह से शाम तक लोगों की हर जरूरत का सामान उपलब्ध कराते हैं। यह हमेशा डर के साये में अपना व्यापार करते हैं। अचानक अतिक्रमण हटाने के नाम पर की जाने वाली कार्रवाई से इनकी दुकान तबाह हो जाती है। जिससे सामान तो बर्बाद होता ही है ग्राहक भी कम हो जाते हैं। पटरी दुकानदार पप्पू ने बताया कि शहर की सड़कों के किनारे दुकान लगाने का खामियाजा भुगतना पड़ता है। अ...