उन्नाव, फरवरी 17 -- कोविड के समय जब अपनों ने भी साथ छोड़ दिया, तब डॉक्टर के साथ नर्स ही थीं जो मरीजों की जान बचाने में लगी थीं। इसीलिए उनके सम्मान में उन्हें फ्रंट लाइन वॉरियर का खिताब दिया गया। लेकिन, सुविधाओं की बात करें तो वे अंतिम कतार में नजर आती हैं। देर रात ड्यूटी और ओवरटाइम मुख्य समस्या है पर इससे भी बड़ी परेशानी है असुरक्षा। तीमारदारों का उनसे झगड़ना आम है। ऐसे में नर्सों ने आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से अपनी पीड़ा साझा की। सभी ने एकसुर में कहा कि उनकी सेवा को सम्मान की दरकार है। बीमारी से उबरने में जितना बड़ा योगदान दवाओं और इलाज का होता है, उतना ही योगदान देखभाल का भी होता है। इसमें बड़ी जिम्मेदारी नर्स निभाती हैं। निजी क्षेत्रों में महज सात से आठ हजार रुपये देकर उनसे 12-12 घंटे की शिफ्ट कराई जाती है। 'हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान...