उन्नाव, फरवरी 14 -- परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधारने की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन शिक्षकों पर गैर शैक्षणिक कार्यों का बढ़ता बोझ इस प्रयास में सबसे बड़ी बाधा बन रहा है। एमडीएम की देखरेख, ड्रेस वितरण, कंपोजिट ग्रांट का प्रबंधन जैसे आधा दर्जन से अधिक गैर शैक्षणिक कामों में शिक्षक 'चक्रव्यूह की तरह उलझे हुए हैं। नतीजतन, उनका ध्यान शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के बजाय प्रशासनिक औपचारिकताओं में बंट जाता है। दूसरी ओर, चयन वेतनमान, एरियर, वेतन निर्धारण और एनपीएस जैसी लंबित समस्याओं पर कोई ठोस समाधान नहीं निकलता। शिक्षकों का मानना है कि जब तक उन्हें गैर शैक्षणिक जिम्मेदारियों से राहत नहीं मिलती, तब तक बच्चों के भविष्य को संवारने की दिशा में सही कदम नहीं उठाए जा सकते। इन तकलीफों को शिक्षकों ने 'हिन्दुस्तान के साथ साझा किया...