उन्नाव, फरवरी 18 -- उन्नाव में हाथों से बने जूते, बेल्ट, पर्स और बैग की धमक चीन से लेकर यूरोप तक सुनाई देती है। यहां की आधा दर्जन से अधिक बड़ी कंपनियां वैश्विक लेदर बाजार में अपनी पहचान बना चुकी हैं, लेकिन इन कंपनियों की नींव रखने वाले स्थानीय कारोबारी आज प्रशासनिक उदासीनता के शिकार हो रहे हैं। कम लागत में उम्दा क्वालिटी के जूते-चप्पल बनाना जिनका हुनर था, वे अब अपनी रोजी-रोटी बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। शहर की फुटपाथी दुकानों पर वर्षों से लेदर कारीगरी का हुनर संजोए बैठे सैकड़ों परिवारों पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से लेदर कारोबारियों ने अपनी पीड़ा साझा की। सभी ने एक सुर में कहा कि जब प्रशासन ने दुकान लगाने की अनुमति दी थी, तो अब उन्हें हटाया क्यों जा रहा है? हिंदी फिल्म श्री 420 के चर्चित गाने 'मेरा जूता है ज...