उन्नाव, मार्च 22 -- जल ही जीवन है। यही नारा सरकारी कागजों में परोसकर सरकारी तंत्र समय-समय पर औपचारिकता निभाता रहा है। खानापूर्ति करने का नतीजा यह रहा कि धरा का पानी धीरे-धीरे रसातल की ओर जाने लगा। निरंतर जलस्तर गिरने के बावजूद जल दोहन को रोकने या आसमान से बरसने वाली बारिश के पानी को संचयन के लिए सिस्टम ने कोई कदम नहीं उठाए। कहने को सरकारी बिल्डिंग में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और गांवों में अमृत सरोवर बनाए गए हैं, लेकिन इनमें जल संचयित नहीं हो रहा है। फिलहाल, जल को संजोने के प्रयास 80 फीसदी तक फेल हैं। विश्व जल दिवस के मौके पर आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने जिले केप्रबुद्ध लोगों से उनकी राय जानी। पेश है उनकी जुबानी- जनपद में मौजूदा समय से जल को संजोने के लिए 800 से अधिक अमृत सरोवर, 1037 ग्राम पंचायत में बने पंचायत भवन, सात सौ से अधिक बेसिक और...
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