उन्नाव, फरवरी 14 -- डॉक्टर अगर धरती के भगवान हैं तो फार्मासिस्ट उनके दूत से कम नहीं। दोनों का एक ही लक्ष्य.. बीमार को स्वस्थ करना। फार्मासिस्ट को अस्पतालों की रीढ़ भी कहा जाता है। अब यह 'रीढ़ झुकने लगी है। उन पर काम का बेहद दबाव है। फार्मासिस्टों ने 'हिन्दुस्तान के साथ चर्चा में कहा कि हमारी जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है, लेकिन स्वीकृत पदों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। एक आदमी दो-तीन लोगों का काम कर रहा है। अस्पतालों की रीढ़ कहे जाने वाले फार्मासिस्ट काम के बोझ तले दबे हैं। एक फार्मासिस्ट 15 से 18 घंटे तक ड्यूटी कर रहा है। मौजूदा समय में 20 पद खाली चल रहे हैं। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान फार्मासिस्ट कहते हैं कि अधिक काम होने से वह न तो अपनी सेहत पर ध्यान दे पा रहे और न ही घर-परिवार पर। कभी-कभी नाश्ते में ही पूरा दिन निकल जाता है...