उन्नाव, फरवरी 14 -- प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना जितना चुनौतीपूर्ण है, उससे अधिक चुनौती तैयारी करना है। निजी कोचिंग संस्थाओं में महंगी फीस और आने-जाने का किराया छात्र-छात्राओं पर गहरी चोट पहुंचा रहा है। सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए अभ्युदय कोचिंग भी चला रही है, जो निशुल्क है। ऐसे सेंटर गिने-चुने ही हैं। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मांग है कि मुफ्त कोचिंग में सीटें बढ़ाई जाएं ताकि उनके सपनों को उड़ान मिल सके। हर गांव में प्रतिभाएं बेशुमार हैं। मगर, संसाधनों के अभाव में मुश्किलें आ रही हैं। निजी कोचिंग संस्थानों की महंगी फीस चुकाने में वह सक्षम नहीं हैं। इसलिए सरकार से नि:शुल्क केन्द्रों का दायरा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि, जिन दो केन्द्रों का संचालन अभी नि:शुल्क हो रहा है वहां तक पहुंचने के लिए गांवों के बच्चों तक साधन नही...