इटावा औरैया, मार्च 2 -- आयुर्वेद के चिकित्सक क्लीनिक संचालित करने के लिए क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी कार्यालय से लाइसेंस लेते हैं। डिग्री पूरी होने पर ही लाइसेंस मिलता है। हमें 58 सर्जरी करने का अधिकार है लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें केवल क्षारसूत्र की ही अनुमति दी है। उन्हें डिग्रीधारक होने के बाद भी उन्हें झोलाछाप बताकर कार्रवाई कर दी जाती है। यह उनकी पेशेवर स्थिति को कमजोर करता है। संसाधनों की कमी, आयुर्वेद अस्पताल का जर्जर होना और सरकारी भवन की सुविधा न मिलना और औषधियों के भंडारण की व्यवस्था तक नहीं है। ख्यात वैध और हकीम की समृद्ध श्रृंखला इटावा में लंबे समय से है। नाड़ी देखकर पूरे शरीर की एमआरआई कर देते हैं और सांसों की गर्माहट से शरीर के तापमान का सटीक अनुमान लगा लेते थे। बांयी और दाहिनी नाक से ली जाने वाली और छोड़ने वाली सां...