इटावा औरैया, फरवरी 17 -- संसाधन और मंच न मिलने से रंगमंच की विधा पर ग्रहण लग रहा है। रंगकर्मियों का कहना है कि आज के बदले दौर में उनकी उम्मीदें धूमिल हो चुकी हैं। इसका खोया दौर वापस लाने के लिए 'संजीवनी की जरूरत है। सबसे पहला काम इटावा में एक प्रेक्षागृह बनवाना होगा। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से बातचीत में यह दर्द रंगकर्मियों ने साझा किया। रंगकर्मी आकाश दीक्षित ने कहा कि अगर रंगमंच को सुविधाएं नहीं मिलीं तो इसका रंग पूरी तरह से फीका पड़ जाएगा। रंगकर्मी और कई फिल्मों में अभिनय कर चुके कलाकार रामजनम सिंह का कहना है कि जिले में एक प्रेक्षागृह रंगकर्मियों के लिए नि:शुल्क हो जाए तो रंगमंच नई ऊंचाईयां छू सकता है। रंगमंच को बढ़ावा देने और रंगकर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए आज तक जिले में किसी संस्था की शुरुआत नहीं हो सकी। आज शहर के रंगकर्मी,...