आजमगढ़, मार्च 10 -- तंगहाली, मुफलिसी के बीच बीमारियों से जूझते लोग। कुछ के चेहरे पर झुर्रियां पड़ गई हैं। शरीर बेजान हो चला है लेकिन दो जून की रोटी के फेर में आराम करने की फुर्सत नहीं। बच्चे, बड़े और महिलाएं भी जी-जान से जुटी हैं। यह नजारा शहर के चकला पहाड़पुर मोहल्ले में बीड़ी मजदूरों के घर का है। इन मजदूरों का कहना है कि अब तक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला। हमारे मोहल्ले में अफसर झांकने भी नहीं आते। योजनाओं का लाभ मिले तो हमारी भी जिंदगी में उजियारा हो जाए। कभी शहर के चकला पहाड़पुर मोहल्ले में घर-घर बीड़ी मजदूर हुआ करते थे। वहां लगभग ढाई सौ कारीगर बीड़ी तैयार करते थे। कम आमदनी और सांस की बीमारी से पीड़ित होने के बाद धीरे-धीरे लोगों ने इस काम से दूरी बनानी शुरू कर दी। आज भी दूसरी पीढ़ी की महिलाएं मजूबरी में बीड़ी तैयार कर रही हैं। वहां...