आजमगढ़, फरवरी 26 -- समाज कल्याण विभाग के राजकीय अनुसूचित जाति बालिका छात्रावास के कमरों में वे जिंदगी के सपने बुनती हैं। कड़ी मेहनत से उम्मीदों की तस्वीरें बनाती हैं लेकिन हॉस्टल की बदइंतजामी उनकी एकाग्रता तोड़ती है। मच्छर और बंदर नींद उड़ाते हैं। सुराख भरी आलमारियों में चूहे अरमानों को कुतरने से बाज नहीं आते। हॉस्टल कैंपस के पीछे जमा गंदगी की बदबू नाकों पर रुमाल रखने से भी नहीं जाती। जब-तब बिजली कटौती उन्हें डराती है। छात्राएं पूछ रही हैं कि सुविधाओं का अभाव ही क्या राजकीय छात्रावास की पहचान होती है? राजकीय अनुसूचित जाति बालिका छात्रावास के सामने अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर 'हिन्दुस्तान के साथ बातचीत में बीएड की छात्रा कविता और निशा ने बताया कि हॉस्टल में इनवर्टर नहीं है। रात में बिजली कटते ही पूरे परिसर में अंधेरा छा जाता है। तब कमरे से बाह...
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