आजमगढ़, मार्च 22 -- ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में रोजगार सेवकों की भूमिका काफी अहम होती है। जॉबकार्ड बनाने से लेकर मजदूरों की हाजिरी तक की जिम्मेदारी उनके ऊपर है। कह सकते हैं वे गांव में रहने वाले लोगों के लिए कमाई का साधन बनते हैं, लेकिन खुद अपने मेहनताने के लिए अफसरों का मुंह ताकने के लिए मजबूर हैं। रोजगार सेवकों का कहना है कि उनका पांच से आठ माह तक का मानदेय बकाया है। ऑनलाइन मोबाइल पर डाटा फीडिंग का काम करते हैं। स्टेशनरी और इंटरनेट का खर्च अपनी जेब से वहन करना पड़ता है। कुंवर सिंह उद्यान में 'हिन्दुस्तान से बातचीत करते हुए रोजगार सेवक अजय कुमार ने बताया कि उनका पांच माह का मानदेय बकाया है। अन्य के साथ भी यही समस्या है। 7788 रुपये में परिवार का गुजारा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मानदेय भी समय...