आगरा, फरवरी 17 -- मिढ़ाकुर (आगरा)। जिले के कस्बों से बड़ी संख्या में जूता कारीगर आगरा शहर और उसके आस-पास स्थित फैक्ट्रियों में कार्य करने पहुंचते हैं। ये जूता कारीगर कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। ये जूता कारीगर ठेकेदारी प्रथा का शिकार हैं। उनको पूरा मेहनताना नहीं दिया जाता है। कोई आर्थिक सुरक्षा नहीं है। आने-जाने में हादसे का डर हमेशा सताता रहता है। आगरा का जूता पूरे विश्व में प्रसिद्ध है लेकिन उसको बनाने वाले कारीगरों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। ताजमहल के बाद दुनिया भर में आगरा का नाम जूता व्यवसाय के लिए ही लिया जाता है। लेकिन इनके कारीगर समस्याओं से जूझ रहे हैं। मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। इस वर्ग पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। तमाम दावों और प्रयासों के बीच जूता कारीगर दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। बड़ी संख्या में गांव-कस्बों से ज...