अयोध्या, मार्च 15 -- नम्बर गेम -50 की संख्या में ही लगभग जिले में साइकिल रिक्शा अब चलते मिलते हैं। -500 रुपए से अधिक की कमाई साइकिल रिक्शा चालकों की पहले प्रतिदिन होती थी। अयोध्या। एक जमाना था जब शहर से लेकर गांव की सड़कों के किनारे पेड़ों की छांव के नीचे साइकिल रिक्शा चालक पसीना सुखाकर गर्मी की तपिश दूर करते। बरसात में रिक्शे की सीट पर बैठकर बौछारों से बचते और ठंड में दान स्वरूप मिले कंबल से लिपटकर रिक्शे की आगोश में बैठे चालक नजर आते थे, लेकिन तकनीकी युग और प्रतिस्पर्धा के दौर में सब कुछ बदल गया। अब साइकिल रिक्शा चंद लोगों के पास ही बचा है। सवारियां भी एकाध बचे साइकिल रिक्शे से सफर से कन्नी काटने लगी है, क्योंकि सफर में समय अधिक लगता है। इसलिए ई- रिक्शा और ई- आटो व परिवहन के अन्य संसाधनों से सफर तय करना मुनासिब समझते हैं। बचे- खुचे साइक...
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