अयोध्या, मई 26 -- अयोध्या। तीन दशक पहले लोग नि:स्वार्थ भाव से बाजारों व सड़कों के किनारे कुओं के पास कमर मे डोरी बांधकर व लोटा लिए प्यासे लोगों की प्यास बुझाने के लिए खड़े रहते थे लेकिन समय ने करवट बदला और कुओं का अस्तित्व ही खत्म हो गया और उनकी जगह हैंडपंप ने ले लिया। कुछ समय तक लोग सड़क के किनारे लगे हैंडपंपों से अपनी प्यास बुझाते रहे लेकिन समय ने फिर करवट बदला और लोग हैंडपंपों को भी अपनी चार दिवारी के अंदर लगवाने लगे। जिसका असर यह हुआ कि कई किलोमीटर दूर से आने व जाने वाले राहगीरों व स्थानीय लोगों को प्यास बुझाने के लिए रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। एक लीटर पानी के लिए उन्हें 20 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं फिर भी सही से प्यास नहीं बुझ पाती है। लोगों की प्यास बुझाने के लिए सरकार व समाज सेवियों ने जलप्याऊ व हैंडपंप लगवाने शुरू किए लेकिन वे अभी ...
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