प्रयागराज, अक्टूबर 5 -- प्रयागराज। भारत विकास परिषद की प्रयागराज शाखा की मासिक बैठक हुई। इसमें गांधी और शास्त्री की प्रासंगिकता पर चर्चा की गई। मुख्य वक्ता प्रो. राकेश सिंह ने कहा कि गांधी का पुनर्पाठ केवल आलोचना नहीं, बल्कि संवाद है। यह ऐसा संवाद है जो नैतिकता, सत्ता और मनुष्य के रिश्ते को पुनः परिभाषित करता है। गांधी जितने पुराने हैं उतने ही आज के भी हैं। उनकी असफलताएं ही उनकी प्रासंगिकता है, क्योंकि वे हमें सिखाती हैं कि सत्य का मार्ग कभी अंतिम नहीं होता है। लाल बहादुर शास्त्री के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हरित क्रांति और दूध क्रांति से लेकर महिला सशक्तीकरण के लिए महत्वपूर्ण कार्य तो किया है। सादगी, नैतिकता और उत्तरदायित्व की मिसाल थे। शास्त्री जी की नीति शैली संयमित सत्ता की थी जो आज के 'वाचाल लोकतंत्र से बिल्कुल विपरीत ह...