शाहजहांपुर, फरवरी 13 -- शादी बारात हो और उसमें बैंड-बाजा न हो तो सब बेकार ही है, लेकिन अब बैंड-बाजा वालों की जगह डीजे और आर्केस्ट्रा लेता जा रहा है। इसलिए बैंड वालों की खुशियों का बाजा बज रहा है। रोजी रोटी के लिए इन्हें अब सीजन के बाद दूसरे काम भी करने पड़ते हैं। कोई रिक्शा चलाता है तो कोई दुकान पर नौकरी करने को मजबूर है। बैंड संचालक और कलाकार दुश्वारियों से निजात मांग रहे हैं। शादी में कोई भी रस्म हो, बिना बैंड-बाजे के अधूरी ही है। कोई इंसान चाहे छोटा हो या बड़ा, बैंड बाजा हर घर की खुशियों में चार चांद लगा देता है। हालांकि आधुनिकता की दौड़ में अब डीजे और आर्केस्ट्रा ने स्थान ले लिया है। बैंड-बाजा वाले कहते हैं कि किसी भी कार्यक्रम में कोई हमको नाम से पहचानता नहीं है। फिर भी हम लोग उस कार्यक्रम में रंग जमाने को पूरी ताकत लगा देते हैं। हमें र...