अलीगढ़, नवम्बर 21 -- अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। निजी अस्पतालों के मनमाने रवैये के आगे स्वास्थ्य विभाग बेबस नजर आता है। गली-गली में अस्पताल उग आए हैं। सुरक्षा मानकों की धज्जियां इतनी उड़ती हैं कि मानो इनका काम इलाज नहीं, किस्मत पर छोड़ देना हो। मानसून में बाढ़ आने पर सरकार ने बेसमेंट में सभी गतिविधियां प्रतिबंधित की थीं, लेकिन अब वही बेसमेंट फिर से अस्पतालों की 'पैथोलॉजी' बन गए हैं, जहां भीड़ भी उतरती है और नियम भी। सवाल उठता है, क्या जनमानस की जान से खिलवाड़ अब व्यवस्था का 'नॉर्मल' हो चुका है या फिर सबकुछ साठगांठ की ऑक्सीजन पर चल रहा है? निजी अस्पतालों की मनमानी और स्वास्थ्य विभाग की बिना रीढ़ की कार्यप्रणाली मिलकर स्वास्थ्य व्यवस्था को मजाक बना रही है। हालत यह है कि गली-गली में अस्पताल ऐसे खुल रहे हैं जैसे पान की दुकानें। सुरक्षा मानक? उन...