श्रीनगर, जुलाई 15 -- गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक) संस्थान की ओर से संकटग्रस्त औषधीय पादप सत्वा के संवर्धन एवं संरक्षण की पहल शुरू की गई है। आईईआरपी, जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा भारत सरकार परियोजना के तहत चमोली जनपद के नंदानगर के सुदूरवर्ती गांव कनोल और वाली ग्वाड़ में ग्रामीण पहली बार दुर्लभ जड़ी-बूटी सत्वा की खेती शुरू कर रहे हैं। उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक) के निदेशक डॉ. विजयकांत पुरोहित और डा. बबीता पाटनी के दिशा-निर्देशन में किसानों को बेशकीमती औषधीय पादप सत्वा के संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर किसान गोष्टी आयोजित की गई। गोष्ठी में काश्तकारों को सत्वा के कृषिकरण एवं उसके फायदों के बारे में बताया गया। साथ ही 100 पौधे किसानों को वितरित...