भागलपुर, अप्रैल 7 -- घाट ठाकुरवाड़ी मे चल रहे रामचरित मानस के 50वें स्वर्ण जयंती समारोह रामकथा के अंतिम दिन कथावाचक स्वामी विनोदानन्द सरस्वती ने कहा कि बेटियों को पिता की चिंता होती है। पिता से ही बेटियों का मायका है। जहां काम वहां राम नहीं, जहां राम वहां काम नहीं। जो लोभ का कहना मानेगा वो कोप भवन में जाएगा। बेटी की विदाई पिता सह नहीं पाता, पिता के घर से बेटी की डोली निकलती है। पति के घर से बेटी की अर्थी निकलती है। कथा के दौरान जिऊंगा मैं कैसे राघव इतना बताए जाना... हम तुम्हारे थे प्रभु जी हम तुम्हारे हैं हम तुम्हारे ही रहेंगे, ओ मेरे प्रियतम आदी भजनों से श्रोताओं को खूब झूमाया। पंडीत चंदन झा के आचर्यत्व में 21 विद्वानों के द्वारा नवाह पारायण संगीतमय प्रातः 8: बजे से दोपहर 1 तक किया जा रहा है इसके बाद हवन के साथ यज्ञ कि समाप्ति हुई। स्वाम...