हाथरस, सितम्बर 11 -- हाथरस, हिन्दुस्तान संवाद। बेटियां या महिलाएं जब पिता या पति का अंतिम संस्कार कर सकती हैं तो श्राद्ध भी कर सकती हैं। हिंदू धर्म के अनुसार पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनका श्राद्ध जरूरी होता है। ऐसा करने से उनकी आत्माएं तृप्त होती हैं। हमें आशीर्वाद मिलता है। आचार्य सुरेंद्र नाथ चतुर्वेदी का कहना है कि आम तौर पर श्राद्ध पुत्र या पौत्र करता है। यदि दोनों लोग नहीं हों तो घर की महिलाएं पितरों का तर्पण कर सकती हैं। गरुण पुराण के अनुसार बड़े या छोटे पुत्र के अभाव में पत्नी, कन्या व पुत्रवधू भी श्राद्ध कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण वनवास में पितृ पक्ष के दौरान राजा दशरथ का श्राद्ध करने के लिए गया जा पहुंचे। लक्ष्मण श्राद्ध का सामान लेने के लिए शहर चले गए, जहां उन्हें देर हो...