वाराणसी, अगस्त 30 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। बाल गंगाधर तिलक ने युवाओं को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट करने का लक्ष्य लेकर सार्वजनिक गणेशोत्सव की नींव महाराष्ट्र में डाली। यह उत्सव आज भी युवाओं को आकर्षित कर रहा है। इसका उदाहरण बनारस की दो बेटियां हैं। ये बेंगलुरु और मुंबई से बनारस आकर गणेशोत्सव मना रही हैं। ईश्वरगंगी के नई बस्ती स्थित ज्योतिष शास्त्र के लिए विख्यात 'पंडितजी की पाठशाला के नाम से जाने जाने वाले शर्मा परिवार की समृद्धि शर्मा बप्पा को बुलाने के लिए बेंगलुरु से छुट्टी लेकर अपने घर आई हैं। इस उत्सव की परिकल्पना में बराबर की साझेदार उनकी बचपन की सहेली आकांक्षा नागर मुंबई से आई हैं। समृद्धि और आकांक्षा दोनों ही मल्टीनेशनल कंपनी में बड़े ओहदे पर हैं। समृद्धि ने बताया कि पुणे से ग्रेजुएशन करते समय मैंने महसूस किया कि वहां जब गणपति घ...