सिद्धार्थ, जुलाई 6 -- इटवा, शिव कुमार चौबे। कभी हंसती थी, बच्चों को बाहों में झुलाती थी, मन में सपने पालती थी लेकिन शुक्रवार की रात माया सिर्फ मां नहीं रही, वो एक टूटी हुई औरत थी, जिसे अब जीने की कोई वजह नहीं दिख रही थी। उसने अपने दो मासूम बच्चों को सीने से लगाया और चुपचाप उस नदी की ओर चल पड़ी जो अब उसकी ममता की अंतिम शरणस्थली बन चुकी है। शनिवार की सुबह जब बूढ़ी राप्ती की लहरों ने तीन निर्जीव शरीर किनारे लगाए तो पूरा बड़ुइया गांव जैसे एक गहरे सदमे में डूब गया। माया (28), उसकी छह साल की बेटी मोनिका और दो साल का बेटा शिवांश अब सिर्फ तस्वीरों में बचे हैं। जीते जी इनकी हजारों चीखें अब पीछे छूट गई हैं। जो किसी ने समय रहते सुनी नहीं। माया की शादी अप्रैल 2017 में सचिन से हुई थी जो गुरुग्राम में मजदूरी करता है। माया अपने सास और बच्चों के साथ गांव मे...