नई दिल्ली, मई 6 -- Buddha Purnima, बुद्ध पूर्णिमा: जन्म, संबोधि और निर्वाण- बुद्ध के जीवन की ये तीन महत्वपूर्ण घटनाएं वैशाख पूर्णिमा के दिन हुईं। यह सिद्धार्थ के बुद्धत्व तक की यात्रा है, जिसमें उन्होंने जन-कल्याण के लिए महानिर्वाण को भी त्याग दिया। बुद्ध का हृदय करुणाशील था, जैसे उनके हृदय में करुणा का सागर हिलोरें ले रहा हो। यह करुणा ही उनके सूत्रों को मानवता के कल्याण का प्रेरक बनाती है। उनका उद्देश्य केवल बाहरी दुनिया को बदलना नहीं था, बल्कि अंदर की स्थिति को बाहरी जगत से एकीकृत करना था। बुद्ध का एक प्रसिद्ध धम्मसूत्र है- मनुष्य का जीवित रहना भी दुर्लभ है, सद्धर्म का श्रवण करना भी दुर्लभ है और बुद्धों का उत्पन्न होना भी दुर्लभ है। मनुष्य होना इतना आसान नहीं है, इतना सरल नहीं है। हालांकि हमें यही लगता है कि डेढ़ अरब से अधिक जनसंख्या अके...