सिद्धार्थ, मार्च 3 -- सिद्धार्थनगर, हिटी। नेपाल सीमा से सटे जिले का कपिलवस्तु देश नहीं विदेशों में भी पहचान का मोहताज नहीं है। कपिलवस्तु में भगवान बुद्ध के अस्थि का अस्टम भाग दफन था जिसे अंग्रेज खोद कर ले गए थे। लंबे समय तक कोलकाता और अब दिल्ली के म्यूजियम में है। उसे सिद्धार्थनगर (कपिलवस्तु) लाने का लंबे समय से चल रहा प्रयास आज भी विफल है। अगर अस्थि कलश आ जाए तो देशी, विदेशी सैलानियों की आमद बढ़ेगी और पिछड़े जिले में विकास के द्वार खुल जाएंगे। राजा शुद्धोधन की राजधानी गनवरिया (कपिलवस्तु से एक किमी पहले) कभी वैभवशाली नगरी थी। यहां राजकुमार सिद्धार्थ ने रहते हुए संसार की नश्वरता और दुखों को देखकर सन्यास ले लिया था। उन्होंने अपनी तप-साधना पूर्ण होने पर बोध ज्ञान प्राप्त किया और भगवान बुद्ध कहलाए। बाद में पूरे विश्व में शांति, अहिंसा व करुणा...
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