जमशेदपुर, नवम्बर 15 -- शहर में आवारा पशु घनी आबादी के बीच लोगों की जान के दुश्मन बनकर घूम रहे हैं। फिर भी स्थानीय निकाय उदासीन हैं। नागरिकों का कहना है कि निकाय केवल बयान जारी करने और घटनाओं के बाद जांच बैठाने तक सीमित हैं, जबकि वास्तविक समस्या जस की तस है। न तो कुत्तों की समय पर नसबंदी कराई गई और न ही आवारा पशुओं के लिए स्थायी शेल्टर होम बनाया जा सका। शहर में आज भी गाय, सांड़ और कुत्ते मुख्य सड़कों, बाजार, कॉलोनियों और गलियों तक में स्वतंत्र रूप से घूमते हैं। कई बार ये जानवर लोगों पर हमला कर चुके हैं, फिर भी समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में कोई ठोस प्रयास दिखाई नहीं देता। आखिर शेल्टर होम बना क्यों नहीं? करीब दो दशक पहले तक बिष्टूपुर के धतकीडीह स्थित कांजी हाउस में आवारा पशुओं को रखा जाता था। उस समय यह सुविधा शहर को काफी हद तक राहत देत...
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