पटना, नवम्बर 15 -- बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश और मोदी की जोड़ी के आगे सभी पस्त हो गए। एनडीए की आंधी में आरजेडी-कांग्रेस, लेफ्ट और वीआईपी का महागठबंधन नाक बचाने में भी कामयाब नहीं रहा। तीसरे विकल्प के रूप में उतरे प्रशांत किशोर की पार्टी भी खाता खोलने में कामयाब नहीं रही। बहुकोणीय मुकाबले में आम आदमी पार्टी ने भी अकेले ताल ठोकते हुए 99 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पार्टी के लिए परिणाम बेहद निराशाजनक रहे हैं। अरविंद केजरीवाल की पार्टी एक भी सीट पर जीत तो दूर मुकाबले में भी नहीं दिखी। पार्टी को नोटा से भी कम वोट मिले हैं और लगभग सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक आम आदमी पार्टी को आधे फीसदी से भी कम वोट शेयर से संतोष करना पड़ा। बिहार में पड़े कुल वोट में से महज 0.30 फीसदी ही ...