नई दिल्ली, सितम्बर 16 -- नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए उम्मीदवारों का चयन आसान नहीं है। पार्टी के सामने जीत के साथ सामाजिक न्याय के एजेंडे पर भी खरा उतरने का दबाव है। ऐसे में पार्टी को सीट पर जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग को टिकट वितरण में अधिक हिस्सेदारी देनी होगी। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव पार्टी के सामाजिक न्याय के एजेंडे का लिटमस टेस्ट है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी लगातार जाति जनगणना और आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को खत्म करने की वकालत करते रहे हैं। ऐसे में पार्टी को टिकट वितरण में इसका ध्यान रखना होगा। बिहार में सवर्ण, अल्पसंख्यक और दलित कांग्रेस के परंपरागत मतदाता रहे हैं। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी पार्ट...