संजय, सितम्बर 17 -- बिहार में सत्ता की बड़ी सूत्रधार आरक्षित सीटें रही हैं। आजादी के बाद से लेकर अब तक हुए तमाम विधानसभा चुनावों में जिस किसी पार्टी को आरक्षित सीटें अधिक मिली है, वह सत्ता पर काबिज हुई है। चुनाव परिणाम पर गौर करें तो दो बातें साफ है। पहला, एससी-एसटी वर्ग सत्ता में आने की संभावना रखने वाले दल या गठबंधन को अपना समर्थन देते हैं। दूसरा, आरक्षित सीटों के मतदाताओं की पसंद कभी भी एक पार्टी नहीं रही। कई ऐसे चुनाव हुए जब सत्ताधारी दल को दो-तिहाई आरक्षित सीटें हासिल हुई। हालांकि, देश-प्रदेश में हुए राजनीतिक बदलाव के साथ आरक्षित सीटों का गणित भी बदलता रहा। पर इसके अपवाद भी रहे हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में देश की राजनीति बदली लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में बिहार का आरक्षित वर्ग महागठबंधन के साथ ही बना रहा और यह सत्तासीन भी हु...