नई दिल्ली, नवम्बर 1 -- नई दिल्ली, निशांत रंजन/रोशन किशोर/अभिषेक झा। पिछले छह दशकों में बिहार विधानसभा की जातीय संरचना में बड़ा बदलाव आया है। जहां ऊंची जातियों के विधायकों की हिस्सेदारी लगातार घटती गई, वहीं पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ा है। 1962 में जहां लगभग आधे विधायक ऊंची जातियों से थे, वहीं 2020 तक उनकी हिस्सेदारी घटकर करीब एक-तिहाई रह गई। इसी अवधि में पिछड़े वर्गों की भागीदारी बढ़कर सबसे आगे निकल आई। यह अध्ययन बिहार के सभी 3,629 विधायकों के जातीय डाटाबेस पर आधारित है। ऊंची जातियों के विधायक तेजी से घटे 1962 में ऊंची जातियों के विधायकों का हिस्सा 47.7% था, जो 2020 तक घटकर 34.3% रह गया, जबकि इसी अवधि में पिछड़े वर्ग के विधायकों का हिस्सा 27.6% से बढ़कर 35.6% हो गया। यह बदलाव स्पष्ट रूप से 1990 के दशक से दिखता है, जब लालू यादव के ने...