हिन्दुस्तान ब्यूरो, अक्टूबर 16 -- सियासत में परिवारवाद पर जितने हमले हुए, इसकी जड़ें उतनी मजबूत होती चली गईं। हाल के चुनावों में परिवारवाद एक बड़ा मुद्दा रहा है, लेकिन नेताओं ने परिजनों को टिकट से नवाजने में अपनी ताकत झोंकी और ज्यादातर कामयाब भी रहे। किसी भी दल ने अपने नुमाइंदों को मायूस नहीं किया। बिहार विधानसभा के चुनाव में उम्मीदवारों की सूची जारी होने के साथ ही राजनीतिक घरानों के सदस्यों का नाम भी खुलकर सामने आ रहा है। जिन दलों की सूची जारी नहीं हुई है, वहां विरासत में मिली राजनीति को आगे बढ़ाने वाले दर्जनों नेताओं की सक्रियता उनके चुनावी दंगल में उतरने की तस्दीक कर रहे हैं। नेताओं के पुत्र, पिता और पत्नी को टिकट देने में कोई दल पीछे नहीं है। कई राजनेता खुद की बजाए अपने बेटे या पत्नी को मैदान में उतार रहे हैं। राजद ने संदेश की विधायक ...