बेगुसराय, अगस्त 14 -- गढ़पुरा, एक संवाददाता। सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है.. यह पंक्ति उन वीरों के लिए जोश और जुनून का सबब था जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मातृभूमि की आजादी के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था। सविनय अवज्ञा आंदोलन भी इसी कड़ी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। गढपुरा: गांधी जी के आह्वान पर बिहार केसरी डॉक्टर श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में गढ़पुरा में नमक आंदोलन का स्वरूप तैयार किया गया। गांधी जी द्वारा साबरमती से अरब सागर के समुद्र तट स्थित दांडी में जाकर नमक कानून को भंग किया गया। वहीं इसी आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में गढ़पुरा में इसकी बागडोर श्री बाबू के कंधे पर थी। शिक्षाविद कनौसी निवासी रामचरित्र सिंह बताते हैं कि तत्कालीन जिला मुख्यालय मुंगेर से गंगा पार करते हुए पंच दिनों की पैद...