धनबाद, जून 5 -- धनबाद, मुख्य संवाददाता। बीबीएमकेयू के राजनीतिक विज्ञान विभाग के रिसर्च स्कॉलर अधिकरण महतो बिरहोर जनजाति पर शोध कर रहे हैं। शोध में यह बात सामने आ रही है कि वर्तमान में आधुनिकता के प्रभाव के कारण बिरहोर जनजाति के युवाओं का रूझान अब अपनी पारंपरिक ज्ञान को जानने और सीखने में नहीं है। इसके कई कारण हैं। इनमें पारंपरिक ज्ञान को प्रोत्साहन के लिए सरकारी नीतियों का अभाव, न्यूनतम आर्थिक लाभ मिलने, जंगल के संसाधन तक जनजातियों के अधिकारों को कुछ सीमा तक प्रतिबंधित करने, वन उपज की मांग पर आधारित बाजार उपलब्ध नहीं होना शामिल हैं। अब जनजाति में कम ही लोग हैं जो पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित रख पाए हैं। इस कारण यह जरूरी है कि शोध कार्य व सरकारी नीतियों के प्रयास से उनके पारंपरिक ज्ञान का दस्तावेजीकरण किया जाए। विशेष औषधि ज्ञान पर फोकस करें।...