जमुई, जून 15 -- झाझा । निज संवाददाता .....बिन पानी सब सून। कालजयी कवि रहीमन की उक्त उक्ति इन दिनों आम जनमानस से लेकर मवेशियों तक तथा उधर खेती किसानी से ले जल के तमाम स्त्रोत समेत पृथ्वी और पर्यावरण तक के मामले में सौ फसदी सच साबित होती साफ नजर आ रही है। उमड़ते-घुमड़ते-गरजते कारे-मतवारे बादलों की जगह आग का लाल गोला बने नजर आते आसमान ने सभी को परेशान कर दिया है। मौसम की गर्ममिजाजी ने आम जनजीवन समेत हर संसाधन से ले पर्यावरण तक के वजूद को मुश्किलों,या कहें कि खतरे में ला दिया है। स्वस्थ लोग भी बीमार पड़ जा रहे हैं तो मौसम के मुताबिक लगाई गई फसलें भी आग सरीखी धूप से जलकर किसानों के कलेजे को जला रही हैं। नदी,नाले,कुएं,झील,पोखर सब या तो सूख चूके हैं या फिर उनके आंचल में पानी का दायरा काफी सिमट चूका है। सदियों से झाझा नगर समेत पूरे प्रखंड के जनजीवन ...
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