मुंगेर, जुलाई 26 -- मुंगेर, हिन्दुस्तान संवाददाता। पादुका दर्शन संन्यास पीठ में चातुर्मास अनुष्ठान के दौरान चल रहे श्रीराम चरित्र व्याख्यान के छठे दिन पंडित नीलमणि दीक्षित ने कहा कि बिना सत्संग के भगवान नहीं मिलते हैं। वहीं बिना भगवत कृपा के सत्संग नहीं मिलते। उन्होंने कहा कि श्रीरामचरितमानस की एक विशेषता यह है कि सत्संग की महिमा किसी संत ने नहीं कहीं बल्कि लंकिनी जैसे तामसी पात्रों ने जिसने क्षणभर के सत्संग के सुख को तीनों लोकों के सुख से श्रेष्ठ बताया। उन्होंने कहा कि जो सत्संग की महिमा है वहीं कथा की महिमा है। क्योंकि दोनों समान हैं। कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अगस्त्य मुनि से मिलन की चर्चा की। जहां उन्हें पंचवटी में वास करने का निर्देश मिला। वहां उनकी गिद्ध राज जटायु से भेंट होती है और जटायु- रामजी का पिता पुत्र संबंध पुनः जागृत हो...