मऊ, नवम्बर 8 -- पहसा, हिन्दुस्तान संवाद। कृषि विज्ञान केंद्र, पिलखी, के परिसर में नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फॉर्मिंग के अंतर्गत की गई प्राकृतिक खेती में धान की फसल का शुक्रवार को केंद्र के वैज्ञानिकों ने अवलोकन किया। निरीक्षण में वैज्ञानिकों ने यह पाया कि विगत दिनों आए चक्रवात मोंथा के प्रकोप से 5 से 8 प्रतिशत धान की फसल गिरी है, जबकि प्राकृतिक खेती से धान की अच्छी पैदावार होने की संभावना है। जिसमें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया गया है। धान की प्राकृतिक खेती में सिर्फ और सिर्फ प्राकृतिक खेती के घटकों जैसे जीवामृत, घन जीवामृत और कीट से बचाव के लिए दशपर्णी अर्क का प्रयोग किया गया है। परियोजना समन्वयक डा.प्रशान्त कुमार देव सिंह ने अवलोकन के बाद पाया कि अगर लागत का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो प्राकृतिक खेती में पारंपरिक खेती की तुलना में ...