सुपौल, मई 9 -- त्रिवेणीगंज, निज संवाददाता प्रखंड के लगभग अधिकांश पंचायतों में बनाए गए बाढ़ आश्रय स्थल भवन जर्जर हो गए हैं। कुशहा त्रासदी के दौरान कोसी क्षेत्र में जानमाल की व्यापक क्षति को देखते हुए करोड़ों की लागत से जगह-जगह बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण कराया गया था, जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति आने पर लोगों को आश्रय के लिए भटकना नहीं पड़े। अब स्थिति यह है कि गांव से दूर सुनसान जगहों पर बने बाढ़ आश्रय स्थल पूरे दिन पशुओं का आश्रय स्थल बना रहता है। इतना ही नहीं कुछ बाढ़ आश्रय स्थल पर तो लोगों ने अवैध कब्जा जमा लिया है। बाढ़ आश्रय स्थल के किसी भी दरवाजे पर न तो ताला लगा है और न ही इसकी देखरेख के लिए कोई पुख्ता इंतजाम किया गया है। लगभग एक करोड़ की लागत से निर्मित आश्रय स्थल पर मवेशियों को रखने का भी इंतजाम किया गया था। निर्माण के दौरान ही लोगो...