धनबाद, सितम्बर 19 -- धनबाद, संवाददाता एक तरफ झारखंड सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए पशुपालन को बढ़ावा दे रही है, दूसरी तरफ बीमार पशुओं के लिए चिकित्सा व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है। पशुपालन विभाग में जब भी पशुपालक अपने बीमार पशुओं को लेकर पहुंचते हैं तो वहां उन्हें डाँक्टर नही मिलते हैं। अगर डॉक्टर मिल भी गए तो कई दवाइयां नहीं मिलती हैं। विभाग ने धनबाद में पशुओं के इलाज के लिए 2013 में ही पेट क्लीनिक खोला है, लेकिन 12 साल बाद भी इसमें डॉक्टर, कंपाउडर, ड्रेसर, रेडियोलोजिस्ट, क्लर्क, रात्रि प्रहरी या चतुर्थवर्गीय कर्मी ही हैं। क्लीनिक जरूरी संसाधन की कमी से भी जूझ रहा है। क्लीनिक में अलग-अलग जगहों पर तैनात पशु चिकित्सकों को प्रभार में रखकर पशुओं का इलाज कराया जा रहा है। हद तो यह है कि यहां दवा के लिए राशि भी सरकार ने स्वीकृत ...