लखनऊ, सितम्बर 11 -- लखनऊ, विशेष संवाददाता विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में किये जा रहे बिजली के निजीकरण में वही गलतियां दोहराई जा रही हैं, जो दिल्ली और उड़ीसा का निजीकरण करने के समय की गई थीं। इन्हीं गलतियों के चलते अरबों-खरबों रुपये की परिसंपत्तियों को निजी घरानों को कौड़ियों के मोल दे दिया गया और आम उपभोक्ता ठगे रह गये। समिति ने कहा कि निजी क्षेत्र की कंपनियों को सरकार ने सीएजी ऑडिट से भी मुक्त रखा है। ऐसे में लाभ-हानि का सही लेखा-जोखा भी नहीं मिल पाता। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण में की जाने वाली गड़बड़ी का अध्ययन करने के लिए गठित विशेषज्ञों की टीम ने कहा है कि मनमाने ढंग से किए गए निजीकरण का आम उपभोक्ताओं को ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.