लखनऊ, नवम्बर 9 -- लखनऊ, विशेष संवाददाता विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बिजली कंपनियों पर घाटे के लिए पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन को जिम्मेदार बताया है। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि निजीकरण के अब तक के प्रयोग असफल रहे हैं, लिहाजा घाटे का हवाला देकर यूपी की जनता पर निजीकरण न थोपा जाए। कंपनियों के घाटे की असल वजह महंगे बिजली खरीद करार और सरकारी विभागों पर बकाया है। महंगे करार की वजह से उन बिजली इकाइयों को उत्पादन निगम की तुलना में 9521 करोड़ ज्यादा अदा करने पड़े। ऐसे कई बिजली क्रय करार हैं, जिनसे वर्ष 2024-25 में एक यूनिट भी बिजली नहीं खरीदी गई लेकिन 6761 करोड़ का भुगतान किया गया।
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