लखनऊ, सितम्बर 18 -- तकरीबन 44 हजार करोड़ रुपये खर्च करके बिजली सुधार के कामों का असर निजीकरण के बाद दिखाई देगा। बिजली दरें तय करने की प्रक्रिया में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने दाखिल किए गए जवाब में यह बताया है। रिवैंप डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत यह रकम खर्च करके बिजली हानियां कम करने और स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने पर खर्च की जा रही हैं। 44 हजार करोड़ रुपये में से 16 हजार करोड़ रुपये लाइन हानियां कम करने के लिए खर्च किए जा रहे हैं जबकि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने पर 27 हजार करोड़ रुपये। लगातार सवाल उठते रहे हैं कि इतनी रकम से बिजली ढांचा सुधारने के बाद निजीकरण क्यों किया जा रहा है। टैरिफ तय करते हुए नियामक आयोग ने दक्षिणांचल और पूर्वांचल समेत अन्य विद्युत वितरण निगमों से इसपर जवाब मांगा था। दक्षिणांचल और पूर्वांचल को निजीकरण के ल...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.