नई दिल्ली, जुलाई 8 -- सरलता क्या है? हम यह समझ लेते हैं कि सरलता बाहरी अभिव्यक्ति, त्याग मात्र है। कम-से-कम संग्रह, बस एक लंगोटी, अपना घर न हो, नहीं के बराबर कपड़े, बैंक में बस नाममात्र की रकम। निस्संदेह यह किसी भी प्रकार से सरलता नहीं है, सादगी नहीं है। यह उसका केवल बाहरी दिखावा है। मुझे लगता है कि सरलता अत्यंत आवश्यक है, परंतु सरलता हममें तभी आती है, जब हम स्वबोध के महत्व को समझना शुरू करते हैं। सरलता किसी आदर्श या प्रारूप के साथ समायोजन कर लेना मात्र नहीं है। सरल होने के लिए बहुत प्रज्ञा की आवश्यकता होती है। सरलता किसी खास ढर्रे के अनुकूल होने से नहीं आती, वह ढर्रा देखने में कितना भी मूल्यवान क्यों न लगता हो। दुर्भाग्यवश हममें से अधिकांश व्यक्ति बाहरी सादगी से ही शुरुआत करते हैं। कम चीजें रखना, कम में ही संतोष कर लेना और उस कम को भी दू...