बांका, मई 22 -- कटोरिया (बांका) निज प्रतिनिधि। सुल्तानगंज से बाबाधाम तक सावन के महीने में चलने वाली लगभग 105 किमी की विश्व प्रसिद्ध कांवर यात्रा केवल धार्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। बिहार और झारखंड की सीमाओं को लांघती यह यात्रा लाखों कांवरियों को एक डोर में बांधती है। लेकिन विडंबना यह है कि स्थायी सुविधाओं के अभाव में हर वर्ष यह यात्रा नए सिरे से तैयारी के नाम पर शुरू होती है। श्रावणी मेले की शुरुआत में अब महज 49 दिन शेष हैं, लेकिन कांवर यात्रा को लेकर तैयारी शुरू नहीं हो सकी हैं। साल में एक बार जीवंत होने वाले कांवरिया पथ की हालत इस बार भी चिंताजनक है। जहां एक ओर भक्तों की भीड़ को संभालने की जरूरत है, वहीं दूसरी ओर मेला शुरू होने से पूर्व कांवरिया पथ में सारी सुविधाएं बहाल करना, प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।...