गंगापार, जुलाई 31 -- बारा एवं शंकरगढ़ के ग्रामीण अंचलों में ऐरा प्रथा ने विकराल रूप धारण कर लिया है। प्रशासनिक उदासीनता और पंचायत स्तर पर लापरवाही के चलते छुट्टा गोवंश (ऐरा) खेतों और सड़कों पर पूरी तरह हावी हो चुके हैं। क्षेत्र के अधिकतर ग्राम पंचायतों में गोवंश आश्रय केंद्र तो स्थापित हैं, परंतु वे केवल शोपीस होते दिखाई देते हैं। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि कई आश्रय केंद्रों में ताले लटके हुए हैं, तो कहीं अंदर मौजूद गोवंश भूख-प्यास से तड़पते नजर आते हैं। सरकार द्वारा भूसा, चोकर, हरे चारे व पानी की समुचित व्यवस्था के निर्देश तो हैं, लेकिन ये सब व्यवस्थाएं सिर्फ कागजों और फाइलों तक ही सीमित हैं। ज़मीनी स्तर पर इनका अनुपालन न के बराबर हो रहा है। ऐसी स्थिति में गोवंश खुलेआम खेतों और सड़कों पर घूमते हुए किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे है...
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