दरभंगा, अक्टूबर 12 -- बेनीपुर। दरभंगा जिले का तरौनी गांव केवल एक सामान्य गांव नहीं, बल्कि जनकवि बाबा नागार्जुन की कर्मभूमि है जिन्होंने अपनी कविताओं और उपन्यासों से शोषितों और वंचितों की आवाज बुलंद की। सत्ता को ललकारा और जनमानस के बीच हमेशा जीवित रहे। लेकिन विडंबना यह है कि जिस गांव ने ऐसे युगप्रवर्तक कवि को जन्म दिया वह गांव आज भी उपेक्षा का शिकार है। चुनाव आते ही तरह-तरह के वादे विभिन्न राजनीतिक दल करना शुरू करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद 'वादा है वादों का क्या फार्मूला लागू हो जाता है। पूर्व मुखिया सुनील कुमार झा बासो और ईश्वर झा बताते हैं कि वर्ष 2004 में राबड़ी देवी सरकार ने तरौनी को बाबा नागार्जुन प्रखंड बनाने की घोषणा की थी और इसे कैबिनेट से मंजूरी भी मिली थी, लेकिन सरकार बदलते ही यह सपना अधूरा रह गया। एनडीए की सरकार ने डेढ़ दशक ...
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