नैनीताल, अक्टूबर 7 -- नैनीताल, संवाददाता। डीएसबी परिसर के भूविज्ञान विभाग और जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया बेंगलुरु का तीन दिवसीय सम्मेलन डीएसबी में दूसरे दिन भी जारी रहा। मंगलवार को विशेषज्ञों के बीच बादल फटने की घटनाओं पर चर्चा हुई। हर्मिटेज भवन में सम्मेलन में सभी विषेशज्ञों ने अपने शोध और अनुभवों को साझा किया। भूविज्ञान एवं भूभौतिकी विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्था खड़गपुर के प्रो़ मनीष ए ममतानी ने बताया कि संरचनात्मक भूविज्ञान, पृथ्वी विज्ञान की प्रमुख शाखाओं में से एक है। भारत बुनियादी ढांचे के निर्माण पर काफी ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि कई अध्ययनों से संकेत मिलता है कि हिमालय के ग्लेशियर बहुत तेजी से पीछे हट रहे हैं और आईपीसीसी एआर 6 के अनुसार उच्च तापमान की स्थिति में इस क्षेत्र के करीब 65 फिसदी ग्लेशियर 2100 तक नष्ट...