सिमडेगा, नवम्बर 6 -- सिमडेगा रामरेखा धाम का नाम लेते ही श्रद्धालुओं के जेहन में ब्रह्मलीन पूज्य रामरेखा बाबा श्रीश्री 1008 श्री स्वामी जयराम प्रपन्नाचार्य जी महाराज की यादे ताजा हो जाती है। रामरेखा बाबा ने अपने तप से धाम को सिद्ध स्थल बनाया था। ये अद्वितीय संत थे। सरल चित्त,भौतिक सुखों से दूर सादगी भरा जीवन जीने वाले महान संत ने अपनी त्याग, तपस्या और सेवा से रामरेखा धाम को देश में पहचान दिलाया। उनकी बाल सुलभ मुस्कान आज भी लोगों को बहुत याद आती है। उन्होंने ग्रामीणो के शैक्षणिक, आर्थिक तथा सामाजिक जागरूकता के लिए कार्य किया। काशी में रामानुज संप्रदाय के तत्कालीन पांचवें गुरु स्वामी जनार्दन स्वामी से दीक्षा ग्रहण के बाद 1941 तक ईश्वरीय कार्यों को पूर्ण करने तथा अध्यात्मिक विकास के बाद तत्कालीन राजा धर्मजीत सिंहदेव के निमंत्रण पर 1942 में रा...