बहराइच, मार्च 19 -- बहराइच,संवाददाता। शहरीकरण के बीच हर ओर बिछ रहे मोबाइल टॉवरों के संजाल से उठने वाली तरंगे गौरैया के जीवन को संकट में डाल दिया है। शहरी क्षेत्र से लगभग गौरैया का कुनबा पलायन कर चुका है। ग्रामीण इलाकों में भी अधिकांश घर-आंगन इनकी चहचहाहट से सूने हो चुके हैं। समय रहते संरक्षण को कदम नहीं उठे तो यह पक्षी भी तराई की धरा से गायब हो जाएगा। गौरैया एक छोटी प्रजाति की चिड़िया है। यह भारत समेत कई देशों में पाई जाती है। गौरैया को घरेलू चिड़िया यानी हाउस स्पैरो भी कहा जाता है। प्राकृतिक जंगल घटने से, मोबाइल टावर की तरंगों से गौरैया की तादाद में गिरावट आ रही है। मोबाइल टावर की तरंगें गौरैया के प्रजनन में प्रभाव डालती हैं। गौरैया के आशियाने खत्म हो रहे हैं और गौरैया के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। वन विभाग इनके संरक्षण को लेकर भी ...