अलीगढ़, अक्टूबर 4 -- अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। कहते हैं भगवान के घर में देर है अंधेर नहीं। कभी पढ़ाई को चाहत रखने वाली बेटी आज बसों और ट्रकों के पंचर लगाने को मजबूर है। उस बेटी के दिल में अलीगढ़ की एक संस्था ने एक बार फिर शिक्षा की अलख जगाई है। सादिया अब काम के साथ साथ पढ़ाई भी कर सकेगी। कभी जिन हाथों में पेन और पीठ पर स्कूल का बैग होता था। आज वह बेटी घर की जिम्मेदारियों तले दब गई है। पढ़ाई की चाहत रखने वाली बेटी अब बस और ट्रकों के टायर के पंचर बना रही है। यह आपबीती है अलीगढ़ की सादिया की। सादिया पिछले 9 वर्षों से टायर पंचर का काम कर रही है और उसकी कहानी संघर्ष और हौसले की मिसाल है। सादिया के पिता रमजानी को पैरालिसिस और फिर एक्सीडेंट भी हुआ, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। बेटों ने साथ देना बंद कर दिया, लेकिन सादिया ने हार नहीं ...