रायबरेली, जुलाई 1 -- रायबरेली, संवाददाता। बफर में एक बोरी डीएपी खाद नहीं है। खाद कब आएगी इसको लेकर भी अधिकारियों के पास कोई सूचना नहीं है। हाल यह है कि बीस प्रतिशत समितियों में ही खाद है। शेष अस्सी प्रतिशत समितियों के किसान भटक रहे हैं। बफर खाली होने से अब समितियों की ओर से पैसा भी नहीं जमा हो पा रहा है। जैसे-जैसे धान की रोपाई तेज हो रही है वैसे-वैसे डीएपी की मांग बढ़ रही है। जिसे पूरा करने के लिए किसान निजी दुकानदारों की शरण में पहुंच रहा है। गेहूं से शुरू हुआ डीएपी खाद की किल्लत अभी तक दूर नहीं हुई है। धान की रोपाई के लिए अब डीएपी खाद की मांग बढ गयी है। डीएपी के लिए किसान साधन सहकारी समितियों के चक्कर काटने लगे। किसानों की उम्मीद थी कि जब तक बरसात नहीं होगी तब तक डीएपी समितियों में आ जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बरसात हो गयी तो धान की रोपाई...